अध्याय १५ उन सात कटोरों की विपत्तियों का वर्णन करता है, जो संतों के रेप्चर के ठीक बाद उन लोगों पर डाली जाएंगी, जो परमेश्वर के शत्रु होकर उसके विरुद्ध खड़े हुए हैं। संख्या “सात” जो प्रकाशितवाक्य में समान रूप से प्रकट होती है, जैसे कि सात मुहरें, सात तुरहियां और सात कटोरे, परमेश्वर की पूर्णता और उसकी सर्वशक्तिमान सामर्थ का प्रतीक हैं। यीशु मसीह सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं। यीशु हमारे लिए सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, इसका अर्थ है कि हमारा प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर है जिसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। हमारा प्रभु स्वयं परमेश्वर है जिसने सभी चीजों की योजना बनाई है और जो उन सभी को पूरा करने की सामर्थ रखता है।
संतों को परमेश्वर की सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान महिमा और सामर्थ के लिए परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए, जो सात कटोरे की विपत्तियों के माध्यम से प्रकट हुई जो वह इस दुनिया पर उन्ड़ेलेगा। हम अपने परमेश्वर को इस तथ्य के लिए धन्यवाद देते हैं कि इस तरह का निर्णय उनकी सर्वज्ञता और सर्वशक्तिमानता से संभव हुआ है। प्रभु अपने शत्रुओं से सात कटोरों की विपत्तियों और नरक की अनन्त पीड़ा से बदला लेगा यह संतों के लिए कुछ ऐसा है कि वे इसके लिओए केवल परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते है। संत इस प्रकार परमेश्वर की स्तुति कर सकते हैं। हाल्लेलूयाह!
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